आधुनिक चिकित्सा और बैगा जनजाति की पारम्परिक स्वास्थ्य चिकित्सा पद्धति- एक विश्लेषण


Published Date: 02-09-2025 Issue: Vol. 2 No. 9 (2025): September 2025 Published Paper PDF: Download
सारांश: भारत एक विविधतापूर्ण देश है। यहाँ आर्थिक, भौगोलिक, सामजिक, सांस्कृतिक, भाषाई और धार्मिक विविधताएं हैं। यहाँ विविध जातियां और जनजातियां निवास करती है। यहाँ विविध प्रकार की देशज औषधियां भी हैं। यहाँ आधुनिक विज्ञान और पारम्परिक ज्ञान दोनों समानान्तर रूप से विद्यमान और गतिमान हैं। जनजातीय समुदायों की सांस्कृतिक पहचान, सामाजिक जीवन और स्वास्थ्य परम्पराएँ अत्यंत समृद्ध एवं विशिष्ट हैं। सम्पूर्ण भारत में सर्वाधिक जनजातियाँ मध्य प्रदेश में निवास करती हैं। जनजातीय समुदाय, विशेषतः बैगा जनजाति, अपनी अनूठी सांस्कृतिक परम्पराओं और स्वास्थ्य सम्बन्धी पारम्परिक ज्ञान के लिए प्रसिद्ध हैं। यह जनजाति सभ्यता जनित वर्जनाओं और आडम्बरों से दूर, प्रकृति की आदिम सुगन्ध से महकते वनफूलों के गोद में निवास करती है। बैगा जनजाति मूलतः मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में पायी जाती है। बैगा जनजाति को विशेष रूप से पिछड़ी जनजातियों (च्टज्ळे) की श्रेणी में रखा गया है। यह जनजाति मात्र एक आदिम जनजाति है। यह समुदाय प्रकृति-आधारित जीवन शैली अपनाता है और वनस्पतियों, जड़ी-बूटियों तथा आध्यात्मिक उपचार पद्धतियों के माध्यम से रोगों का उपचार करता है। बैगा जनजाति, जो मुख्यतः मध्यप्रदेश के मंडला, डिंडोरी, बालाघाट जिलों तथा छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में निवास करती है, अपनी विशिष्ट जीवन शैली और पारम्परिक चिकित्सा पद्धतियों के लिए जानी जाती है। यह समुदाय अपने परम्परागत उपचार और चिकित्सा पद्धति के लिए लोक-विश्रुत है। दूसरी ओर, आधुनिक चिकित्सा प्रणाली वैज्ञानिक शोध, औषधियों और उपकरणों पर आधारित है, जिसने अनेक जटिल बीमारियों को नियंत्रित करने में सफलता प्राप्त की है। परन्तु, जनजातीय क्षेत्रों में आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच, विश्वास की कमी और सांस्कृतिक असामंजस्य के कारण अनेक चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
मुख्य शब्दः पारम्परिक, उपचार, जड़ी-बूटी, प्रसव, बेवर.