महिला विवाह की आयु एंव कुपोषण एक समाजशास्त्रीय अध्ययनः विश्लेषण
सारांश- भारत एक विशाल जनसंख्या वाला राष्ट्र है यह किसी भी देश की तुलना में अधिक अविकसित बच्चों का घर है और किशोर गर्भावस्था के बोझ का समना करने वाले शीर्ष 10 देशों में से एक है। ‘अन्तर्राष्ट्रीय खाद नीति अनुसंधान संस्थान‘ ‘आईएफपीआरआई‘ के एक नए अध्ययन के अनुसार बाल विवाह अवैध होने के बवजूद भारत में 31प्रतिशत विवाहित महिलाएं नाबालिक होते हुए भी बच्चे को जन्म देती है और उनके बच्चों के कुपोषित होने की संभावना, वयस्को से जन्में बच्चो की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक होती है। कुपोषण के महत्वपूर्ण कारको में कम आयु में विवाह एक प्रमुख कारक है, जो कुपोषण की स्थ्तिि उत्पन्न करने में अत्यधिक सहायक है। ‘आईएफपीआरआई‘ द्वारा विश्लेषण किए गए भारत के 60,096 मातृ शिशु जोङों में से 14,107 महिलाओं (लगभग 25 प्रतिशत) ने पहली बार किशोरावस्था के दौरान बच्चे को जन्म दिया तथा वयस्क माताओं से पैदा हुए बच्चों में स्टंटिग और कम वजन का प्रसार 10 प्रतिशत अंक से अधिक था। प्रस्तुत शोध पत्र में महिलाओं के कम आयु, विवाह एंव कुपोषण के बीच संबध को ज्ञात करना है तथा कुपोषण की स्थिति उत्पन्न करने में कम आयु में विवाह किस प्रकार अपना प्रभाव डालती है? यह जानने का प्रयास किया गया है।
शब्द संकेत: बाल विवाह, ग्रामीण महिलाएं, मातृ पोषण, स्वास्थ्य।.