भारतीय दर्शन का आधुनिक समाज पर प्रभावः एक नीति शास्त्रीय दृष्टिकोणक मूल्यांकन


Published Date: 02-09-2025 Issue: Vol. 2 No. 9 (2025): September 2025 Published Paper PDF: Download
सारांश: भारतीय दर्शन, जो वेदों, उपनिषदों, गीता, बौद्ध और जैन विचारधाराओं से प्रेरित है, आज भी आधुनिक समाज में अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है। भारतीय दार्शनिक परंपरा जीवन के व्यावहारिक, नैतिक और आध्यात्मिक पक्षों को सशक्त करती है, जिससे व्यक्ति और समाज के नैतिक उत्थान की संभावनाएं बढ़ती हैं। भारतीय नीति शास्त्र, जो आचार, धर्म, अर्थ और मोक्ष के सिद्धांतों पर आधारित है, आधुनिक समाज में नैतिक मूल्यों के पुनर्संस्थापन हेतु आवश्यकदृष्टिकोण प्रदान करता है। आधुनिक युग में, जहाँ उपभोक्तावाद और भौतिकता प्रमुखता से बढ़ रहे हैं, भारतीय दर्शन जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए एक मार्गदर्शन का कार्य करता है। योग और ध्यान जैसे दार्शनिक सिद्धांत मानसिक शांति और स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं, जो आज की तनावपूर्ण जीवनशैली में अत्यंत आवश्यक हैं। इसके साथ ही, वेदांत दर्शन समग्र दृष्टिकोण प्रदान करते हुए व्यक्ति को आत्मबोध और आत्म-विकास की ओर प्रेरित करता है। समाज सुधार की दृष्टि से देखा जाए तो गांधी, विवेकानंद और दयानंद सरस्वती जैसे विचारकों ने भारतीय दर्शन के सिद्धांतों को आधुनिक समाज में व्यावहारिक रूप दिया। आज के समय में नीति निर्माण और प्रशासन में भारतीय दर्शन के तत्वों का उपयोग कर समावेशी और नैतिक समाज की स्थापना की जा सकती है। हालांकि, भारतीय दर्शन को आधुनिक समाज में पूर्ण रूप से लागू करने में कुछ चुनौतियाँ भी हैं, जैसे कि पश्चिमी विचारधारा का प्रभाव और नैतिक मूल्यों का ह्रास। इसके बावजूद, भारतीय दर्शन के माध्यम से समाज में नैतिक शिक्षा, सहिष्णुता और आत्मानुशासन को बढ़ावा देने की संभावनाएं प्रबल हैं।
मुख्य शब्दः भारतीय दर्शन, आधुनिक समाज, नीति शास्त्र, योग, वेदांत, नैतिकता, मूल्य शिक्षा, आध्यात्मिकता, जीवनदृष्टि, समाज सुधार।