मखाना उत्पादन से ग्रामीण रोजगार पर प्रभावः एक आर्थिक मूल्यांकन


Published Date: 01-09-2025 Issue: Vol. 2 No. 9 (2025): September 2025 Published Paper PDF: Download
सारांश: भारत की कृषि अर्थव्यवस्था में मखाना एक विशिष्ट जलवर्ती फसल है, जिसका उत्पादन मुख्यतः बिहार के कोशी प्रमंडल, उत्तर प्रदेश और असम के कुछ भागों में किया जाता है। यह शोध मखाना उत्पादन और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के परस्पर संबंध का आर्थिक दृष्टिकोण से मूल्यांकन करता है। पारंपरिक रूप से तालाब आधारित इस फसल की खेती में बीज उत्पादन, रोपाई, कटाई, प्रसंस्करण और विपणन जैसी श्रम-प्रधान गतिविधियाँ शामिल होती हैं, जिससे ग्रामीण स्तर पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के विविध अवसर उत्पन्न होते हैं। मखाना उत्पादन न केवल कृषकों की आय में वृद्धि करता है, बल्कि महिलाओं, मजदूरों और वंचित वर्गों को आजीविका के अवसर प्रदान कर सामाजिक-सांस्कृतिक समावेशन को भी प्रोत्साहित करता है। इसके अतिरिक्त, प्रसंस्करण और निर्यात योग्य मखाना उत्पादों की बढ़ती मांग ने लघु एवं कुटीर उद्योगों को भी उन्नति का मार्ग दिखाया है। भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा मखाना मिशन, प्रशिक्षण कार्यक्रम और वित्तीय सहायता जैसी योजनाएँ रोजगार को संरचित करने में सहायक सिद्ध हो रही हैं। हालाँकि, इस क्षेत्र में अनेक चुनौतियाँ भी हैं, जैसे उत्पादन लागत में वृद्धि, बाजार तक पहुँच की बाधाएँ, तालाबों का क्षरण और तकनीकी प्रशिक्षण का अभाव। इन चुनौतियों के समाधान के लिए मखाना मूल्य श्रृंखला को सशक्त करना, स्थानीय प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना और निर्यात को बढ़ावा देना आवश्यक होगा। यह अध्ययन निष्कर्षतः दर्शाता है कि यदि मखाना उत्पादन को वैज्ञानिक, संस्थागत और नीतिगत सहयोग के साथ विस्तारित किया जाए, तो यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है।
मुख्य शब्दः मखाना उत्पादन, ग्रामीण रोजगार, आर्थिक विकास, प्रसंस्करण, कोशी प्रमंडल, कृषि आधारित उद्योग, महिला सशक्तिकरण, नीति सुझाव, निर्यात संभावनाएँ, सामाजिक समावेशन।