भारतीय न्याय व्यवस्था- वास्तविक स्थिति


Published Date: 01-10-2025 Issue: Vol. 2 No. 10 (2025): October 2025 Published Paper PDF: Download
आरंभिक अनुच्छेद: भारतीय संविधान विश्व का अकेला उदाहरण है जो विभिन्न प्रकार की संस्कृतियों, भाषा, लिपियाँ तथा धर्म को समान मान्यता देते हुए, समस्त नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करते हुए, एकता में बाँधें रखने का कठिन कार्य पिछले दशकों से करता आ रहा है। इसका प्रमुख कारण है संविधान की लोकतांत्रिक व्यवस्था, जिसमें सरकार के तीन प्रमुख अंगों व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की सुदृढ़ रचनाएँ क्षेत्राधिकार, शक्तियाँ, अधिकार एवं दायित्व के साथ-साथ योग्यता को भी लिपिबद्ध कर दिया गया है जिसके तहत हमारे देश में व्यक्ति बड़ा नहीं है, बल्कि संविधान सर्वोच्च है। इसी के साथ ‘विधि के शासन की स्थापना भारत में उन सभी आवश्यकता को पूरा कर दिया जो कि एक दृढ़ लोकतंत्र के लिए आवश्यक होता है। इस प्रकार भारत में सरकार तथा उसके प्रत्येक अंग संवैधानिक उपबन्धों के तहत अपना कार्य निष्पादन का उत्तरदायित्व भली भांति निर्वाह कर रहें हैं। जिसके कारण भारतीय लोकतंत्र सुदृढ़ होकर विश्व के समक्ष एक प्रबल लोकतांत्रिक देश के रूप में प्रस्तुत होता है।