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बिहार के कृषि गत क्षेत्र के विकास में पशुधन एंव डेयरी की भूमिका और इसके प्रभाव.

डॉ0 नवल किशोर बैठा, पीजी अर्थशास्त्र विभाग, (एच.ओ.डी), एम.जे.के कॉलेज, बेतिया पश्चिम चंपारण (बिहार), बी.आर.ए बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर   DOI: 10.70650/rvimj.2025v2i60010   DOI URL: https://doi.org/10.70650/rvimj.2025v2i60010
Published Date: 07-06-2025 Issue: Vol. 2 No. 6 (2025): June 2025 Published Paper PDF: Download E-Certificate: Download

सारांश: बिहार एक प्रमुख कृषि प्रधान राज्य है, जहां की अर्थव्यवस्था व्यापक रूप से कृषि आधारित है। इस संदर्भ में पशुधन और डेयरी क्षेत्र की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये न केवल ग्रामीण आय का एक प्रमुख स्रोत हैं, बल्कि ग्रामीण रोजगार, पोषण सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। वर्तमान शोधपत्र का उद्देश्य बिहार में कृषि गत क्षेत्र के विकास में पशुधन और डेयरी उद्योग की भूमिका का मूल्यांकन करना है। डेयरी उत्पाद जैसे दूध, दही, घी, आदि न केवल घरेलू खपत को पूरा करते हैं, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करते हैं। ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन, ‘राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम‘, और बिहार सरकार द्वारा संचालित विभिन्न पशुधन स्वास्थ्य सेवाओं एवं कृत्रिम गर्भाधान योजनाओं से इस क्षेत्र को संस्थागत समर्थन प्राप्त हो रहा है। इन योजनाओं ने दुग्ध उत्पादन में वृद्धि, पशुधन की नस्ल सुधार, एवं पशुपालकों की आय में सुधार जैसे सकारात्मक प्रभाव डाले हैं। हालाँकि, यह क्षेत्र कुछ चुनौतियों से भी जूझ रहा है, जैसे पर्याप्त पशु चिकित्सा सेवाओं की कमी, बाजार तक सीमित पहुँच, वैज्ञानिक प्रशिक्षण की अपर्याप्तता, और चरागाहों की घटती उपलब्धता। इन चुनौतियों के समाधान हेतु राज्य को दीर्घकालिक योजना, सहकारी ढांचे के सशक्तिकरण, और निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता है। यदि पशुधन और डेयरी क्षेत्र को समुचित नीति, वित्तीय सहायता, और तकनीकी नवाचार से सशक्त किया जाए, तो यह बिहार के कृषि विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करेगा, बल्कि राज्य के सतत विकास को भी गति प्रदान करेगा।

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