बिहार में ग्रामीण विकास की अवधारणा और वर्तमान स्थिति


Published Date: 03-07-2025 Issue: Vol. 2 No. 7 (2025): July 2025 Published Paper PDF: Download E-Certificate: Download
सारांश: भारत के सामाजिक एवं आर्थिक विकास की समग्र प्रक्रिया में ग्रामीण विकास एक केंद्रीय स्थान रखता है, विशेषकर बिहार जैसे राज्य के संदर्भ में, जहाँ जनसंख्या का बहुलांश ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करता है। ‘‘बिहार में ग्रामीण विकास की अवधारणा और वर्तमान स्थिति‘‘ विषयक यह शोधपत्र ग्रामीण विकास की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, नीति-गत पहलुओं तथा वर्तमान सामाजिक-आर्थिक यथार्थ का विश्लेषण करता है। ग्रामीण विकास को परंपरागत रूप से केवल कृषि उत्पादन एवं भूमि सुधार से जोड़ा गया, परंतु समकालीन परिप्रेक्ष्य में यह बहुआयामी अवधारणा बन चुकी है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी संरचना, वित्तीय समावेशन एवं महिला सशक्तिकरण जैसे तत्व सम्मिलित हैं। बिहार के संदर्भ में यह देखा गया है कि राज्य ने ग्रामीण विकास की दिशा में कई योजनाओं का आरंभ किया है, जैसे मनरेगा, ग्रामीण सड़क योजना, जीविका कार्यक्रम, स्वच्छ भारत मिशन एवं उज्ज्वला योजना। हालांकि, इन योजनाओं के कार्यान्वयन में क्षेत्रीय असमानता, प्रशासनिक जटिलताएँ और जन-जागरूकता की कमी जैसे मुद्दे प्रमुख अवरोध बनकर उभरे हैं। सामाजिक संकेतकों जैसे साक्षरता दर, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य सेवाएँ तथा कृषि उत्पादकता में भी बिहार देश के अन्य राज्यों की तुलना में पीछे रहा है। वर्तमान स्थिति में ग्रामीण विकास को गति देने हेतु राज्य सरकार द्वारा पंचायती राज प्रणाली को सशक्त करने, ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने तथा तकनीकी नवाचार को ग्राम स्तर तक पहुँचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। डिजिटल ग्राम पंचायत, आत्मनिर्भर भारत अभियान, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जैसे कार्यक्रम ग्रामीण संरचना को विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं। बिहार में ग्रामीण विकास की अवधारणा अब कृषि-केंद्रित न रहकर समग्र सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण की ओर अग्रसर हो रही है। हालाँकि चुनौतियाँ अभी भी विद्यमान हैं, परंतु शासन की प्रतिबद्धता, जनसहभागिता और दीर्घकालिक योजना के माध्यम से ग्रामीण विकास को एक स्थायी एवं समावेशी स्वरूप प्रदान किया जा सकता है।
मुख्य-शब्द: ग्रामीण विकास, बिहार, मनरेगा, पंचायती राज, सामाजिक संकेतक, महिला सशक्तिकरण, कृषि, संरचनात्मक विकास।