बौद्ध संघ की कार्यप्रणाली- एक अध्ययन


Published Date: 08-11-2024 Issue: Vol. 1 No. 4 (2024): November 2024 Published Paper PDF: Download E-Certificate: Download
Abstract- बौद्ध संघ प्राचीन भारतीय समाज में एक संगठित धार्मिक संस्था थी, जिसकी स्थापना स्वयं गौतम बुद्ध ने की थी। यह संघ न केवल आध्यात्मिक साधना का केंद्र था, बल्कि एक अनुशासित प्रशासनिक एवं सामाजिक संगठन भी था। बौद्ध संघ की कार्यप्रणाली को समझने के लिए इसकी संरचना, अनुशासन प्रणाली, आर्थिक व्यवस्था, प्रशासनिक प्रक्रियाएँ और समाज में इसकी भूमिका को विश्लेषण करना आवश्यक है। संघ में प्रवेश की एक निश्चित प्रक्रिया थी, जिसमें प्रव्रज्या और उपसम्पदा संस्कार प्रमुख थे। संघ में रहने वाले भिक्षु एवं भिक्षुणाएँ विनय पिटक में उल्लिखित कठोर नियमों का पालन करते थे, जो उनके दैनिक आचरण, भिक्षाटन और ध्यान साधना से जुड़े थे। संघ की प्रशासनिक व्यवस्था सामूहिक निर्णय प्रणाली पर आधारित थी, जिसमें उपोसथ सभा (मासिक बैठकें) महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं। इन बैठको में भिक्षु अपने दोषों की स्वीकृति देते और संघ मे अनुशासन बनाए रखने के लिए सामूहिक विचार-विमर्श किया जाता था। संघ की आर्थिक व्यवस्था पूरी तरह से समाज पर निर्भर थी। भिक्षु और भिक्षुणियाँ अपने भिक्षाटन के माध्यम से जीवन यापन करते थे, और समाज से दान प्राप्त करते थे। कई राजाओं, विशेषकर सम्राट अशोक ने संघ को संरक्षण और आर्थिक सहायता प्रदान की। समाज में बौद्ध संघ की भूमिका केवल धार्मिक तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह शिक्षा, नैतिकता, और समाज सुधार का भी केंद्र बना। संघ में अध्ययन एवं शिक्षण की परंपरा थी, जिसमें त्रिपिटक ग्रंथों का अध्ययन किया जाता था। समय के साथ, बौद्ध संघ में विभाजन होने लगे, जिससे महायान और हीनयान शाखाएँ अस्तित्व में आईं। आंतरिक मतभेदों, प्रशासनिक जटिलताओं और सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तनों के कारण संघ की प्रभावशीलता में गिरावट आई। अंततः, भारत में बौद्ध धर्म के पतन के साथ संघ की पारंपरिक कार्यप्रणाली भी कमजोर पड़ गई। इस शोध पत्र के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि बौद्ध संघ की कार्यप्रणाली एक सुव्यवस्थित एवं अनुशासित संगठन का उदाहरण प्रस्तुत करती है। यदि इसे आधुनिक संदर्भ में देखा जाए, तो यह संगठनात्मक प्रबंधन, नैतिक अनुशासन और सामूहिक निर्णय प्रक्रिया के लिए एक आदर्श मॉडल साबित हो सकता है।
Keywords: बौद्ध संघ, विनय पिटक, प्रव्रज्या, उपसम्पदा, उपोसथ, भिक्षु, भिक्षुणी, त्रिपिटक, महायान, हीनयान, कार्यप्रणाली.